ashalzindgi.blogspot.com मनुष्य जीवन कई प्रकार की की जिम्मेदारियों से बंधा हुआ है कोई व्यक्ति अगर इन जिम्मेदारियों से आजाद होना चाहता है तो वह चाह कर भी आजाद या दूर नहीं हो सकता क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति एक व्यक्तिगत समूह सी जुड़ा हुआ है वह समूह एक परिवार और एक समाज और सकता है जिसमें वह बंधित रहता है जिम्मेदारियां व्यक्ति को गलत कार्य करने से रोता है शक्ति का सबसे पहला काम अपने परिवार का पालन पोषण करना होता है अगर व्यक्ति अपने परिवार का पालन पोषण अपना परिवार नहीं कर सकता तो वह अपने समाज और देश का क्या सेवा और योगदान दे सकता है इसलिए एक व्यक्ति को अपने बलबूते पर परिवार और समाज की रक्षा करना तथा उसकी सेवा करना आना चाहिए
व्यक्ति का प्रथम धर्म अपना परिवार होता है उसे अपने परिवार के लिए जी जान से मेहनत करके अपने मां बाप और परिवार के लिए मेहनत करने होती है ताकि उसके मां-बाप ने उसके लिए पूरी जिंदगी मेहनत की है अब उनको आराम मिले और अपने बच्चों के द्वारा उनकी सेवा की जाए जिससे उनको हमने जीवन का गाना सुख की अनुभूति कराई जा सकती हैं अन्यथा कई माता पिता वृद्धाश्रम अनाथ आश्रम मैं दिखाई देते हैं क्योंकि उनके बच्चों ने उनको घर से निकाल दिया गया है शोभा अपने अकेली जिंदगी बिताते हैं बच्चे अपने माता पिता के साथ रहना पसंद नहीं करते क्योंकि वह बुड्ढे हो गए हैं जिंदगी में एक एक बात हमेशा यादें पटना की
यह 2 दिन की जिंदगी
यह दो पल की जिंदगी
दो पल की छांव दो पल की रात
बहुत जल्दी निकलती हैं इसलिए आज अपने मां बाप अपन को खराब लगते हैं आने वाली संतान के लिए हम भी ऐसे ही खराब होंगे और हमको भी अनाथ आश्रम वृद्धाश्रम में रहना पड़ेगा क्योंकि आज की जिंदगी में नई जनरेशन के लोग जितना बोलकर नहीं सीखते हैं उतना देखकर सी लिख लेते हैं
व्यक्ति का प्रथम धर्म अपना परिवार होता है उसे अपने परिवार के लिए जी जान से मेहनत करके अपने मां बाप और परिवार के लिए मेहनत करने होती है ताकि उसके मां-बाप ने उसके लिए पूरी जिंदगी मेहनत की है अब उनको आराम मिले और अपने बच्चों के द्वारा उनकी सेवा की जाए जिससे उनको हमने जीवन का गाना सुख की अनुभूति कराई जा सकती हैं अन्यथा कई माता पिता वृद्धाश्रम अनाथ आश्रम मैं दिखाई देते हैं क्योंकि उनके बच्चों ने उनको घर से निकाल दिया गया है शोभा अपने अकेली जिंदगी बिताते हैं बच्चे अपने माता पिता के साथ रहना पसंद नहीं करते क्योंकि वह बुड्ढे हो गए हैं जिंदगी में एक एक बात हमेशा यादें पटना की
यह 2 दिन की जिंदगी
यह दो पल की जिंदगी
दो पल की छांव दो पल की रात
बहुत जल्दी निकलती हैं इसलिए आज अपने मां बाप अपन को खराब लगते हैं आने वाली संतान के लिए हम भी ऐसे ही खराब होंगे और हमको भी अनाथ आश्रम वृद्धाश्रम में रहना पड़ेगा क्योंकि आज की जिंदगी में नई जनरेशन के लोग जितना बोलकर नहीं सीखते हैं उतना देखकर सी लिख लेते हैं
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